The Lost Art of Storytelling
Hi, is this open to all? Usha Shetty
looking forward
तिलिस्मे होशरुबा के कुछ तिलिस्म से आज शाम रुबरू हुये , शुक्रिया
aapki hindi to pratyakshah bari achhi hai mohtarma
शुक्रिया महमूद साहब !:-)उस शाम आपसे मिलती लेकिन हो न पाया । किसी मित्र ने गोरखपुर में आधा गाँव सुना था और अभी अभी ताज़ा शम्सुर साहब की 'कई चाँद थे ..' पढ़ी थी , तो उस शाम की दास्तानगोई की खुशी के अलावा शायद ये सब भी कुछ कहने के अरमान थे .. फिर सही
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ReplyDeletelooking forward
ReplyDeleteतिलिस्मे होशरुबा के कुछ तिलिस्म से आज शाम रुबरू हुये , शुक्रिया
ReplyDeleteaapki hindi to pratyakshah bari achhi hai mohtarma
ReplyDeleteशुक्रिया महमूद साहब !
ReplyDelete:-)
उस शाम आपसे मिलती लेकिन हो न पाया । किसी मित्र ने गोरखपुर में आधा गाँव सुना था और अभी अभी ताज़ा शम्सुर साहब की 'कई चाँद थे ..' पढ़ी थी , तो उस शाम की दास्तानगोई की खुशी के अलावा शायद ये सब भी कुछ कहने के अरमान थे .. फिर सही